Vikas Mishra
Editor
Lokmat Times
डॉ. साकेत जती के हाथों में यश है..! कोई ढ़ाई दशक पहले इंदौर के एम.वाय. हास्पिटल में एक निर्मम वाकया हुआ. एक गरीब और बेसहारा महिला को वार्ड से बाहर अस्पताल परिसर में खुले आकाश के नीचे डाल दिया गया. यह घटना सभी को अचंभित करने वाली थी, हृदय विदारक थी. उस समय उसी अस्पताल में डॉ. साकेत जती संभवत: पीजी कर रहे थे. इस घटना ने उन्हें झंकझोर कर रख दिया और सूचना मुझ तक पहुंच गई. मैं उस समय इंदौर के नईदुनिया अखबार में बतौर रिपोर्टर काम कर रहा था. मुङो डॉ. साकेत जती की संवेदना और हिम्मत ने बहुत प्रभावित किया क्योंकि वह उन्हीं के वार्ड का प्रसंग था, इसके बावजूद वे इस निर्मम कांड के खिलाफ उठ खड़े हुए. और भी बहुत से डॉक्टर थे, पीजी करने वाले थे लेकिन किसी ने अपने वरिष्ठों के खिलाफ वह हिम्मत नहीं दिखाई थी जो डॉ. साकेत ने दिखाई. मुङो लगा कि इस बंदे में संवेदना है, समाज के प्रति समर्पण है अन्यथा कोई व्यक्ति व्यवस्था के खिलाफ क्यों खड़ा होगा? यह डॉ. साकेत की पहल ही थी कि उस महिला को फिर से वार्ड में जगह मिली और उसका उपचार हुआ.
उस घटना के बाद से डॉ. साकेत जती से मेरी निकटता बढ़ती चली गई और मैंने महसूस किया कि साकेत जितने अच्छे डॉक्टर हैं, उतने ही अच्छे इनसान भी हैं. कमाल की बात यह है कि साकेत की दोस्ती में इतनी विविधता है कि हर कोई उनका मुरीद हो जाता है. उनमें एक गजब की चुंबकीय शक्ति है. मुङो लगता है कि उनका बेहतरीन इनसान होना ही उन्हें एक बेहतरीन चिकित्सक भी बनाता है. आज उनकी प्रतिभा मध्यप्रदेश से बाहर फैल चुकी है और वे देश के चाने माने हड्डी रोग विशेषज्ञ की हैसियत रखते हैं. मुङो पता है कि उन्हें कई बार विदेश में बस जाने का भी ऑफर मिला लेकिन हर बार बड़ी विनम्रता से उन्होंने इनकार कर दिया. दरअसल साकते का शुरु से ही यह मानना है कि अपनी मातृभूमि से बेहतर कोई जगह नहीं है. इस मिट्टी ने उन्हें खूशबू दी है तो इसी मिट्टी में बसना बेहतर है. मैंने ऐसे कई मौके देखे हैं जब उन्होंने लीक से अलग हटकर गरीबों के लिए काफी कुछ किया है लेकिन कभी इसका प्रचार नहीं किया. हमारे जैसे अखबारी दाोस्तों ने यदि सलाह भी दी कि कुछ तो दुनिया को बताओ तो उन्होंने मुस्कुराकर इनकार कर दिया.
डॉ. साकेत जती की प्रतिभा को बहुतों बार करीब से देखा है. एक रात हमारे एक बहुत अजीज मित्र के घुटनों की कटोरी खिसक गई. वे दर्द से बेहाल थे, पैर दूसरी ओर घूम चुका था. मैंने तत्काल साकेत भाई को फोन किया. रात के दो बज रहे थे लेकिन वे आधे घंटे के भीतर उस मित्र के घर आ पहुंचे. दो-चोर मिनट इधर-उधर की बात करते रहे, उसके बाद अचानक से खटाक की आवाज हुई, मेरे मित्र चिल्लाए और सबकुछ सहज हो गया. मैं दंग था यह दृष्य देखकर. कहां तो हम सर्जरी की बात कर रहे थे और कहां यह चमत्कार हो गया! कोई दूसरा डॉक्टर होता तो मेरे मित्र को सीधे ऑपरेशन थिएटर में ले जाता लेकिन डॉ. साकेत ने तो कमाल कर ही कर दिया!
एक और वाकया सुनिए..! मेरे एक रिश्तेदार को काफी दिनों से कुल्हे की परेशानी थी. चलना फिरना मुश्किल था. वे बिहार में थे और मैं चाहता था कि डॉ. साकेत को एक बार दिखाया जाए. यूं ही एक दिन मैं उनसे चर्चा की. डॉ. साकेत ने कहा कि पेशेंट को लाने की जरूरत नहीं है, आप तो एक्सरे रिपोर्ट मंगा लो. मैंने ऐसा ही किया. डॉ. साकेत ने शायद एक-दो गोलियां लिखीं और सूंघने की एक दवाई लिखी. इलाज कुछ लंबा चला और मेरी रिश्तेदार बिल्कुल ठीक हो गईं. यह कितनी बड़ी बात है कि कोई डॉ. मरीज को कभी देखे ही नहीं और उसे पूरी तरह चंगा कर दे! ऐसे कई वाकये हैं जब मैंने डॉ. साकेत की प्रतिभा को महसूस किया है.
सबसे बड़ी बात यह है कि डॉ. साकेत पैसों के पीछे कभी नहीं भागे. उनका उद्देश्य केवल यह रहता है कि किस तरह से मरीजों को कम से कम खर्च में ठीक कर दिया जाए. मेरे एक पत्रकार मित्र का दिल्ली में एक्सीडेंड हो गया. कंधा कुचल चुका था. दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया. अस्पताल ने इतना भारी भरकम खर्च बता दिया कि हम सभी चिंतित हो गए. मैंने डॉ. साकेत से बात की. उन्होंने दिल्ली के डॉक्टर से बात की और मुङो कहा कि मरीज को विमान से इंदौर बुला लो. हमने ऐसा ही किया. इंदौर में उन्होंने ऑपरेशन किया और दिल्ली के अस्पताल ने जो खर्च बताया था, उसका पच्चीस प्रतिशत भी डॉ. साकेत जती ने खर्च नहीं होने दिया. ऐसे बहुत से प्रसंग मैं बहुत करीब से जानता हूं. पोलियो ग्रसत मरीजों के लिए डॉ. साकेत ने इतना कुछ किया है कि शब्दों में व्याख्या नहीं की जा सकती! बहुत से पोलियो ग्रस्त मरीजों को सामान्य जिंदगी की स्थिति में लाने के लिए उन्होंने अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च किया है लेकिन कभी इस चीज को प्रचारित नहीं किया.
एक बात और कहना चाहूंगा कि डॉ. साकेत जती के हाथों में यश है. उन्हें ईश्वर ने अपने स्नेह से नवाजा है. उनके पास पहुंचते ही एक सुकून सा मिलता है. उनकी आंखों क गहराई और उनकी मुस्कुराहट का समिश्रण आपको मंत्रमुग्ध कर देता है. मरीज अपनी आधी बीमारी तो उनके चेंबर में ही छोड़कर बाहर निकलता है. साकेत के लिए मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि ईश्वर ऐसा दोस्त सबको दे. साकेत की दोस्ती मेरे लिए ईश्वर की ओर से बड़ा आशीर्वाद है.